Tuesday, April 12, 2011

सब डिज़ाइन मौजूद हैं

हमारे आज के समाज के माडल को समझने के लिए हमें बच्चों की तरह एक आसान सा प्रारूप लेना अच्छा रहेगा।हम कुछ जानवरों को लेलें। फिर उनसे कहें कि वे हम इंसानों में से चुन-चुन कर अपनी-अपनी एक एक टीम बना लें।हमारे लिए भी अपनी पसंद की टीम में जाना आसान रहेगा क्योंकि पंचतंत्र या ऐसी ही अन्य कहानियों के माध्यम से हम जानवरों की फितरत को भी काफी हद तक जान गए हैं।यदि हम ईमानदारी से अपनी नीयत का आकलन करें तो हम पाएंगे कि हम में से प्रत्येक को न केवल अपनी पसंद का, बल्कि अपने जैसे स्वभाव का कैप्टन मिल रहा है। हम में भी ऐसे कई हैं जो दूसरे का शिकार किया हुआ मांस नहीं खाते। हम में भी ऐसे हैं जो दूसरों का पकाया या कमाया हुआ ही खाते हैं। हम में भी ऐसे हैं जो ज़रूरत पड़ने पर रंग बदल लेते हैं। हम में भी ऐसे हैं जो आंख में पानी बीत जाने के बाद भी दिखावे के लिए रो सकते हैं। हम में ऐसे भी हैं, जो अपने ही मित्र या भाई को मुसीबत में पड़ा देख कर किसी झाड़ी की ओट स द्रश्य का आनंद लेते हैं।हम में ऐसों की कमी भी नहीं है जो अपने स ताकतवर के सामने दुम हिलाएं और अपने स कमज़ोर को मार कर खा जाएँ। कहने का तात्पर्य यह है कीदुनिया में मौजूद प्राणियों की फितरत ही हम में स कई लोगों की फितरत में आ जाती है और हम मानवीयता खो बैठते हैं। कोई इसका कारण यह मानता है कि हम उनका मांस - खून भी तो खा जाते हैं। कोई कहता है कि हम उन्हें मार कर उनकी खाल ओढ़ लेते हैं। कोई कहता है की हम रात-दिन उनके कारनामे देखते रहते हैं इसी लिए उन जैसे हो जाते हैं ।

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