Tuesday, December 20, 2011

बीज

बीज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह वैसा ही फल फिर उगा सकता है, जैसे फल से वह बीज खुद निकला है.
रशिया ने 'गीता' पर प्रतिबन्ध लगा दिया. स्वाभाविक है कि भारत में बवाल मच रहा है.
रशिया ने प्रतिबन्ध क्यों लगाया, इस पर भारत के पास कहने के लिए कुछ विशेष नहीं है. यदि गीता को एक धार्मिक ग्रन्थ भी मान लिया जाय, तब भी रशिया के संविधान में यह नहीं लिखा कि वहां सभी धार्मिक ग्रंथों का सम्मान किया जायेगा.किसी एक देश की आस्था जिस विचार में हो वह विचार  सब जगह सर्वमान्य नहीं माना जा सकता.
यदि तार्किकता के द्रष्टिकोण से देखें, तो पश्चिम सहित अन्यान्य देशों में 'रिज़ल्ट-ओरिएंटेड' समाज है. कर्म करो, और फल की चिंता मत करो, यह बात वहां किसी को समझाना आसान नहीं है.किसी एक विचार-द्रष्टि या लक्ष्य के लिए अपने-पराये सब को मार देने के आह्वान का भी अंध-समर्थन नहीं किया जा सकता.
गीता जिस घटना का प्रतिक्रियात्मक उत्पाद है, उस महाभारत में भी तो कोई महात्म्य नहीं छिपा. फिर भी कोहराम मच रहा है तो शायद इसलिए, कि गीता का बीज महाभारत से है. इसे 'कट्टरपंथी साहित्य' कहने का तो शायद कोई औचित्य नहीं है. बात केवल जन-भावनाओं के सम्मान की हो सकती है, लेकिन उसके लिए किसी को बाध्य तो नहीं किया जा सकता.     

No comments:

Post a Comment

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...