Sunday, June 17, 2012

विदेशी ज्ञान [ लघु-कथा]

   प्रबंधन के प्रोफ़ेसर 'क्वालिटी-सर्किल' के बारे में पढ़ा रहे थे। बोले- "इसे गुणवत्ता समूह कहते हैं। इसमें किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए कार्यकर्ताओं व साधनों का ऐसा समूह बनाया जाता है, जिसमें सभी गुणों व संभावनाओं का समावेश होता है, ताकि इनके प्रयोग से कार्य में निश्चित सफलता प्राप्त हो। यह जापानी अवधारणा है, इसे अमेरिकी कम्पनियां भी अपने काम में उपयोग में लाती  हैं, फ़्रांस ने हर क्षेत्र में बड़ी सफलता इसी से पाई, जर्मनी और इटली ने इसे काफी पहले अपना लिया, रूस ने ..."
   एक छात्र बोला- सर, इसका कोई उदाहरण देकर बताइये, ताकि हमें अच्छी तरह समझ में आ जाये।
   प्रोफ़ेसर बोले- जैसे ...जैसे ...वन में सीता के अपहरण के बाद राम के लिए उन्हें ढूंढना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने इसके लिए बाली, सुग्रीव, हनुमान, जामवंत, अंगद आदि सभी विशेषताओं वाले सहयोगियों को चुना, हर दिशा में समर्थ लोगों को भेजा गया, ताकि सीता कहीं भी, किसी भी दिशा में हों, उनका पता अवश्य  लगे और असफलता का प्रतिशत शून्य रहे।
   छात्र इस 'विदेशी-ज्ञान' पर चकित हो रहे थे, और झटपट पढ़ाई  पूरी करके इन देशों में जाने का सपना देख रहे थे।  

2 comments:

  1. यूँ ही एक प्रवृत्ति पर देश-विदेश का अंतर याद आया। भारत में काम करते समय हम लोगों ने सम्मिलित प्रयासों से कई प्रक्रियायें और मसौदे बनाये थे। कुछ रहे कुछ हमारे बाद आये लोगों ने मिटा दिये। इन पर कोई पुस्तक नहीं लिखी, कोई सर्कुलर नहीं आया और न ही कोई प्रमाणपत्र मिला। अमेरिका आने पर पाया कि मिलते जुलते कार्यक्रम न केवल प्रामाणिक बनाये गये बल्कि उनमें से चुने हुए कार्यक्रमों को अन्य संस्थाओं द्वारा अपनाया भी गया।

    कई बार नये प्रोटोकॉल स्थानीय कारकों से उत्पन्न होते हैं, और हम आँखें बन्द करके लकीर पीटते हैं। कारखाना/उत्पादन के क्षेत्र जापान के कई कार्यक्रम वहाँ जगह/इंवेंट्री की कमी के कारण उत्पन्न हुए जबकि अमेरिका में कई अवधारणायें शिक्षित कर्मियों की कमी से सामने आईं। भारत की समस्यायें कई मामलों में अलग हो सकती हैं लेकिन विश्व की जानकारी, देशी-विदेशी ज्ञान स्वीकारने वाले और फ़िरकापरस्ती से ऊपर उठने वर्ग उन्नतिशील होते हैं।

    हमेशा की तरह आपके आलेख कितने भी छोटे हों, सोचने को बाध्य करते हैं। शुभकामनायें!

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  2. aapki baat bilkul sahi hai, mera manna hai ki unnatisheelta hamara prayojan hona chahiye. isiliye aisi 'rachnaon' ko vyangya nahin kaha ja sakta, ye vastvikta hai.

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