Friday, August 10, 2012

शिंदे, जया और गंभीरता

 शिंदे ने कल राज्य सभा में माफ़ी मांगी.माफ़ी आम तौर पर कोई तब मांगता है जब वह गलती करे.इसका अर्थ यह हुआ कि शिंदे ने अपनी गलती मानी.गलती आमतौर पर कोई तब मानता है जब उसने वास्तव में गलती की हो.बिना गलती किये जबरन माफ़ी मंगवाने की बात तो केवल पुलिस विभाग में हो सकती है. राज्य सभा पुलिस विभाग नहीं है.इसका अर्थ यह हुआ कि शिंदे ने माना कि उन्होंने वास्तव में गलती की है.
   बात असम की हो रही थी, जया जी ने बीच में कुछ कहना चाहा. इस पर शिंदे ने उदगार व्यक्त किये कि "यह गंभीर मामला है, यह कोई फिल्म की बात नहीं है."
   इसका अर्थ यह हुआ कि शिंदे के मुताबिक़ जया को केवल फिल्म के मामलों पर बोलना चाहिए. जया ने फिल्मों में काम किया है, इसलिए वे केवल  फिल्मों की विशेषज्ञ हैं.शिंदे ने फिल्मों में काम नहीं किया इसलिए वे सब मामलों पर बोल सकते हैं. फिल्म के अलावा बाकी सब मामलों के विशेषज्ञ शिंदे हैं. और गंभीर मामलों पर बोलने का अधिकार तो केवल शिंदे को है.
   खैर, अब बात उतनी गंभीर नहीं है क्योंकि शिंदे ने माफ़ी मांग ली है अर्थात उगल कर निगल लिया है, माने थूक कर...आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले इन्हीं शिंदे जी का नाम देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए भी उछला था.लेकिन कई मुहावरों के चलते ऐसा नहीं हो पाया. कौन से मुहावरे ? यह तो आप सोचिये.
   खुदा नाखून नहीं देता, उस्तरा हर किसी के हाथ में आ जाये तो...ओले पहले ही पड़ गए...आदिआदि     

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