Monday, August 13, 2012

कभी-कभी सरल मित्र भी पूछते हैं कठिन सवाल

कल मैं मित्रता और परिचय के बीच के अंतर पर एक छोटा सा प्रयोग कर रहा था, तभी पिट्सबर्ग, अमेरिका से मेरे बेहद आत्मीय और गहरे मित्र ने मुझसे सवाल पूछा कि कल कब आएगा। सन्दर्भ भी बतादूँ, मैं यह कह रहा था कि  मैं आज किये जा रहे प्रयोग का उत्तर या स्पष्टीकरण "कल" दूंगा। अगर वे यह सवाल नहीं पूछते, तो शायद 'कल' आज आ जाता।
   लेकिन अब मैं सतर्क हो गया हूँ, अगर स्मार्ट इंडियन भी मेरे इस प्रयोग में दिलचस्पी ले रहे हैं, तो अब मुझे अपनी बात पर थोड़ा और गहराई से, अच्छी तरह जांच करके ही टिप्पणी करनी होगी।
   दरअसल मित्रता और खाद्य पदार्थों का कोई सीधा सम्बन्ध होता नहीं, लेकिन संबंधों और स्वाद की तासीर कभी-कभी आश्चर्यजनक रूप से एक सी होती है। यह मैं आपको बताऊंगा, लेकिन थोड़े दिन रुक कर। मैं फिल्म वालों की तरह अपनी नई किताब 'थोड़ी देर और ठहर' का प्रमोशन नहीं कर रहा। कहा न, अपने उत्तर की प्रामाणिकता  को एक बार और जांचने की दृष्टि से थोड़ा  समय ले रहा हूँ। 

2 comments:

  1. जो आज था वह कल गया
    और कल कल पर टल गया

    जी, इंतज़ार रहेगा! :)

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  2. "jab tak n aaya saamne,vo pahaad sa atal raha.jab aa gaya vo saamne,bas barf sa hi pighal gaya."

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