Tuesday, August 14, 2012

लीजिये,नई परिभाषा से भी वरिष्ठ नागरिक हुई हमारी आज़ादी

भारत के स्वतंत्रता पर्व पर सभी को भाव-भरी शुभकामनायें! आज़ादी की जो उम्र हो चली है, उस उम्र में भारत में एक नागरिक को वरिष्ठ नागरिक कहा जाने लगता है। वरिष्ठ नागरिक माने- सेवा से निवृत्ति, पेंशन पर अधिकार, कतारों में तरजीह, बैंक जमा पर ज्यादा ब्याज और राजनीति के मैदान में चपल-चंचल-नटखटपन।
   कभी-कभी लगता है कि राजनेताओं और फिल्मवालों को हम लोग जितना शक्ति-संपन्न समझ लेते हैं, वास्तव में वे उतने होते नहीं हैं। देशमुख बीमार थे, गुर्दे और लीवर ख़राब थे, देश के श्रेष्ठ डाक्टरों की निगरानी में थे, बेटा रितेश, जो फिल्म-स्टार है, तीमारदारी में तो लगा ही था, अपने अंग दान देने की पेशकश भी कर चुका  था,साथ में था, देश की आज़ादी का पर्व सामने था, जिस पर सरकार बड़े-बड़े काम मुल्तवी कर देती है, इस सब के बावजूद चले गए।
   कल शाम को मैं अपने कमरे में बैठा एक पत्रिका पढ़ रहा था, कि  मुझसे दस फिट की दूरी पर रखे फ्रिज से एक बन्दर आम निकाल कर मुझे दिखाता हुआ आराम से चला गया। सबको 'आज़ादी' मुबारक! 

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