Sunday, September 30, 2012

अमेरिका का अगला महीना

   नवम्बर में अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव है। मौजूदा राष्ट्रपति के पक्ष में माहौल है। कहा जा रहा है कि  जो शुरुआत उन्होंने की थी, उसके लिए उन्हें मिला समय कम है। उन्हें एक मौका और मिलना ही चाहिए। कयासों की कोई ख़ास कीमत नहीं होती। बेहतर होता है नतीजों का इंतजार करना। उनके लिए असंख्य शुभकामनाएं।
   लेकिन इधर पिछले दिनों अखबारों के कौने में छपी एक छोटी सी खबर ने बहुत निराश किया। जो खबर निराश करदे उसे दोहराने का मन नहीं करता, लेकिन बिना बोले आप समझेंगे कैसे कि  कौन सी खबर की बात हो रही है। यह खबर है भारत की।
   इस खबर के मुताबिक हमने जल्दबाजी की। पिछले दिनों हमारे यहाँ भी राष्ट्रपति के चुनाव थे। हमारे पूर्व-राष्ट्रपति का काम भी पूरा नहीं हुआ था, उन्हें कुछ और समय की ज़रुरत थी। लेकिन मतदाताओं ने राष्ट्रपति को दोबारा मौका न देकर नए राष्ट्रपति को चुन लिया। दोष मतदाताओं का नहीं है, दरअसल पूर्व-राष्ट्रपति की इस बार दावेदारी भी नहीं थी। शायद किसी को यह ध्यान न रहा हो कि  उनका कोई कार्य शेष है।
   पर बात ज्यादा चिंता की नहीं है। उनका शेष कार्य उनसे अब भी करवा लिया जायेगा, ऐसा सरकार ने कहा है। उनसे कह दिया गया है कि  राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान उन्हें जो कीमती तोहफे मिले थे, उन्हें वे वापस लौटा दें। ये तोहफे राष्ट्र की धरोहर होते हैं, इसलिए इन्हें राष्ट्रपति भवन में ही रखा जाना चाहिए, राष्ट्रपति के परिजनों के आवास पर नहीं।

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