Saturday, November 16, 2013

सचिन

ईश्वर को याद करने के लिए आपको ढेर सारी आरतियाँ याद करके उन्हें गाना ज़रूरी नहीं है।
केवल "ॐ "कहने से भी आपकी आस्तिकता जग ज़ाहिर हो जाती है।  और यदि ईश्वर प्रार्थनाएं सुनता है तो आपकी यही गुहार प्रार्थना का काम कर देती है।
आइये अब सचिन की  बात करें।
सचिन को "भारत रत्न" मिल गया है।  डॉ. राव को भी।  दोनों के प्रति सम्मान सहित बधाई।
सचिन को जीवन में चुनौतियाँ ही मिलती रही हैं।  यह स्वाभाविक भी है।  बिना चुनौतियों का मुकाबला किये भला कोई सचिन कैसे बन सकता है।  यह तय है कि ज़िंदगी के सारे मुश्किल दाव खेलकर ही सचिन सचिन बने हैं।  इसलिए सचिन के लिए चुनौती कोई अहमियत नहीं रखती।
लेकिन, फिलहाल एक छोटी सी चुनौती अब भी उनके सामने है।
उन्हें "भारत रत्न" देने के लिए २६ जनवरी या उनके जन्मदिन जैसे किसी पावन-पवित्र और शुभ दिन का इंतज़ार नहीं किया गया है, उन्हें यह तमगा हड़बड़ी में माहौल भाँप  कर दिया गया है।  अब उन्हें देखना होगा कि कहीं उनसे इस सम्मान की  कीमत न मांगी जाय।  यदि इस समय वह किसी राजनैतिक पार्टी के पक्ष में मुंह खोलेंगे तो वह अपने करोड़ों प्रशंसकों और क्रिकेट का मान कम ही करेंगे।
यह आशंका केवल इसलिए ज़ाहिर की  जा रही है क्योंकि पिछले दिनों लता मंगेशकर के बटुए में हाथ डाल कर "भारत रत्न" निकालने का प्रयास करते हुए राजनीतिज्ञ देखे जा चुके हैं।
ईश्वर करे कि आशंकाएं निर्मूल साबित हों।
मेरी ये  ९०० वीं पोस्ट सचिन के बल्ले से निकली आँधियों को समर्पित !  

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