Saturday, March 15, 2014

अभय-निर्भय मीडिया

जिस तरह हर सुबह कौने-कौने में धूप लेकर सूरज को जाना पड़ता है, जिस तरह उपवन-उपवन ताज़गी लेकर हवा को जाना पड़ता है, जिस तरह जीवन सन्देश लेकर घाट-घाट पानी को जाना पड़ता है, उसी तरह बस्ती-बस्ती खबर लेने मीडिया को जाना पड़ता है.
जिस तरह आग से गर्मी आती है, फूल से खुशबू आती है, दीपक से प्रकाश आता है, वैसे ही नेताओं से खबर आती है, और यह खबर मीडिया लाता है.
अगर कभी मीडिया जेल में चला जाए तो क्या हो?
शायद कुछ नहीं !
क्योंकि ख़बरें तो वहाँ भी हैं, नेता-गण तो वहाँ भी हैं, ख़बरें फिर भी आएँगी !
  

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